दिल्ली में चुनाव करीब हैं, और इस बार भी बड़े-बड़े वादों की बौछार हो रही है। लेकिन जब बात बुनियादी जरूरतों की आती है, तो हकीकत कुछ और ही नजर आती है। इस बार दिल्ली में मुद्दा है पानी—वो पानी जो हर घर तक पहुंचने का दावा किया जाता है, लेकिन हकीकत में हर किसी की पहुंच से दूर होता जा रहा है। राजधानी में लाखों लोग ऐसे हैं, जो आज भी टैंकर के भरोसे हैं, नल में गंदा पानी आ रहा है, और स्वच्छ जल के नाम पर सिर्फ घोषणाएं मिल रही हैं।

क्या दिल्ली का पानी वाकई पीने लायक है?

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एक ताजा रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए हैं, वो हैरान करने वाले हैं। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से लिए गए 30 पानी के नमूनों में से 23 पीने लायक नहीं पाए गए। इनमें टर्बिडिटी (गंदलापन), TDS (टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स), आयरन और बैक्टीरिया की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि वह गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।

दिल्ली के संगम विहार, द्वारका, शाहदरा और पालम जैसे इलाकों में हालात और भी खराब हैं। यहां नल से आने वाला पानी इतना गंदा होता है कि उसे उबालने के बाद भी पीने का मन न करे। और अगर आप सोच रहे हैं कि लोग इस बारे में शिकायत करते होंगे, तो जवाब है— हां, लेकिन सुनता कौन है?

टैंकर माफिया: पानी अब सिर्फ प्यास नहीं, मुनाफे का सौदा है

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जहां पाइपलाइन से साफ पानी आना चाहिए, वहां आज भी लोग टैंकरों से पानी खरीद रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 20,000 से ज्यादा अवैध बोरवेल चल रहे हैं, जिनसे पानी निकालकर ऊंचे दामों पर बेचा जाता है। गर्मी के दिनों में 2000 लीटर पानी का टैंकर ₹700 से बढ़कर ₹2000 तक पहुंच जाता है।

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जिन इलाकों में पानी की सबसे ज्यादा किल्लत है, वहां टैंकर भी मनमाने दामों पर बिकते हैं। यह कोई आम बिजनेस नहीं है, बल्कि एक पूरी व्यवस्था है, जिसमें नेताओं, अफसरों और लोकल दबंगों की मिलीभगत से पानी को भी ‘कमोडिटी’ बना दिया गया है।

दिल्ली का जहरीला पानी: सरकार दावा करती रही, रिपोर्ट ने पोल खोल दी

पिछले साल दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि राजधानी में हर घर को 24×7 साफ पानी मिलेगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद एक पाइप से पानी पीकर यह दिखाने की कोशिश कर चुके हैं कि दिल्ली का पानी पीने लायक है। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, उसी इलाके से लिए गए पानी के नमूने में TDS और अन्य संदूषक मानकों से कई गुना ज्यादा मिले।

वजीराबाद जलाशय की हालत भी बेहद खराब है। पहले यह जलाशय 250 मिलियन गैलन पानी जमा करता था, लेकिन अब इसमें सिर्फ 16 मिलियन गैलन की क्षमता बची है। इसमें जमा गाद और अमोनिया ने पानी को जहरीला बना दिया है, जिससे दिल्ली के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी प्रभावित हो रहे हैं।

स्वास्थ्य संकट: सबसे ज्यादा असर गरीबों पर

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पानी की गुणवत्ता जितनी खराब हो रही है, उतनी ही तेजी से जलजनित बीमारियां बढ़ रही हैं। टाइफाइड, डायरिया, डेंगू और पेट की बीमारियों के मामलों में पिछले साल भारी इजाफा हुआ है। रिपोर्ट बताती है कि 2023 में दिल्ली में डेंगू के 9,266 मामले और 19 मौतें दर्ज की गईं।

जिन लोगों के पास RO या मिनरल वॉटर खरीदने के पैसे नहीं हैं, वे मजबूरी में गंदा पानी पी रहे हैं। खासकर झुग्गी बस्तियों और निम्न-आय वर्ग के लोगों के लिए यह एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है।

चुनाव पास, वादों की बारिश—लेकिन पानी कहां है?

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दिल्ली में पानी अब सिर्फ एक सुविधा का नहीं, बल्कि एक बड़े राजनीतिक मुद्दे का रूप ले चुका है। चुनाव नजदीक आते ही हर पार्टी जल संकट को हल करने के दावे कर रही है। लेकिन सवाल यह है कि जब सरकार के पास इतने सालों से समय था, तो यह संकट हल क्यों नहीं हुआ?

रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में जल बोर्ड के भ्रष्टाचार, पाइपलाइन लीकेज और प्रशासनिक लापरवाही की वजह से हालात बिगड़ते गए। और अब जब चुनाव सामने है, तो एक बार फिर वादों की बौछार हो रही है।

दिल्ली का जल संकट अब सिर्फ पानी की किल्लत नहीं, बल्कि प्रशासनिक विफलता और भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण बन चुका है। अगर इस पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में यह और भी गंभीर रूप ले सकता है।

जनता को जवाबदेही मांगनी होगी

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दिल्ली में जल संकट अब सिर्फ पानी की कमी का मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का उदाहरण बन चुका है।

अगर सरकार समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं करती, तो आने वाले समय में यह और भी गंभीर रूप ले सकता है। जरूरी है कि—
1. दिल्ली जल बोर्ड की स्वतंत्र ऑडिट हो और पारदर्शिता लाई जाए।
2. टैंकर माफिया पर सख्त कार्रवाई की जाए।
3. नई पाइपलाइनों और जल शोधन संयंत्रों में निवेश किया जाए।
4. गंदे पानी से होने वाली बीमारियों पर स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाया जाए।

दिल्ली की जनता को अब चुनावी वादों पर भरोसा करने के बजाय नेताओं से जवाबदेही मांगनी होगी। वरना हर चुनाव में नए वादे सुनने को मिलेंगे, लेकिन प्यास बुझाने के लिए टैंकर की कतार में ही खड़ा रहना पड़ेगा।